गणेश विसर्जन 2025: तिथियाँ, समय, मुहूर्त, परंपराएँ व ऐतिहासिक कथाएँ | क्यों मनाते हैं?

गणेश विसर्जन 2025: तिथियाँ, समय, मुहूर्त, परंपराएँ व ऐतिहासिक कथाएँ | क्यों मनाते हैं?

गणेश विसर्जन: पर्व का महत्व

गणेश विसर्जन हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो भगवान गणेश की मूर्ति को जल में प्रवाहित करके मनाया जाता है। यह पर्व ज्ञान, बुद्धि, समृद्धि और नए आरंभ का प्रतीक है। गणेश चतुर्थी से शुरू होने वाला उत्सव विसर्जन के साथ पूर्णता पाता है, जिसमें भक्त भगवान श्री गणेश से अपने कष्ट व बाधाओं के निवारण की प्रार्थना करते हैं।

गणेश विसर्जन 2025 की तिथियाँ व समय

साल 2025 में गणेश विसर्जन मुख्य रूप से शनिवार, 6 सितंबर, 2025 (अनंत चतुर्दशी) को मनाया जाएगा। इसके अलावा कई भक्त पहले (1.5 दिन), तीसरे, पांचवें, सातवें और ग्यारहवें दिन भी अपने पारिवारिक परंपरा के अनुसार विसर्जन करते हैं।

विसर्जन का दिन तिथि शुभ मुहूर्त (समय)
गणेश चतुर्थी 27 अगस्त 2025 07:36 AM से 09:10 AM 
डेढ़ दिन (1.5 दिन) 28 अगस्त 2025 05:58 AM से 10:46 AM 
तीसरे दिन 29 अगस्त 2025 05:58 AM से 10:46 AM 
पाँचवें दिन 31 अगस्त 2025 07:34 AM से 12:21 PM 
सातवे दिन 2 सितंबर 2025 स्थानीय मुहूर्त अनुसार
मुख्य विसर्जन (अनंत चतुर्दशी) 6 सितंबर 2025 07:36 AM से 09:10 AM; 12:19 PM से 05:02 PM; 06:37 PM से 08:02 PM और 09:28 PM से 01:45 AM (7 सितंबर) 

शुभ मुहूर्त (Choghadiya Muhurat)

  • प्रात: 07:36 AM से 09:10 AM
  • दोपहर: 12:19 PM से 05:02 PM
  • संध्या: 06:37 PM से 08:02 PM
  • रात: 09:28 PM से 01:45 AM (7 सितंबर)

गणेश विसर्जन कैसे मनाया जाता है?

पारंपरिक विधि

  1. घरों एवं सार्वजनिक स्थलों पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना होती है।
  2. पूरे दस दिनों तक भक्त रोज़ सुबह-संध्या भगवान गणेश की पूजा, आरती, भजन, मंत्र व श्लोक पाठ करते हैं।
  3. प्रसाद में विशेषतः ‘मोदक’, ‘लड्डू’ एवं अन्य मिठाइयाँ चढ़ाई जाती हैं।
  4. दशमी (अनंत चतुर्दशी) के दिन श्रद्धालु भगवान गणेश की प्रतिमा को शोभायात्रा के साथ नाच-गाने, जयकारों एवं मंगल गीतों के साथ निकटवर्ती नदी, तालाब, या समुद्र में विसर्जित करते हैं।

इस उत्सव के ऐतिहासिक व सामाजिक पहलू

  • छत्रपति शिवाजी महाराज के काल से महाराष्ट्र और पुणे में सार्वजनिक गणेश उत्सव मनाने की शुरुआत हुई थी।
  • लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने सन 1893 में ब्रिटिश शासन में सामाजिक और राजनीतिक एकजुटता के लिए गणेशोत्सव को सार्वजनिक आंदोलन का रूप दिया।

ऐतिहासिक कहानियाँ

गणेश जी का जन्म

पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने अपने शरीर की मिट्टी से गणेश जी का निर्माण किया और उन्हें स्नानगृह की रक्षा का आदेश दिया। भगवान शिव ने ग़लती से गणेश जी का सिर काट दिया तथा बाद में हाथी का सिर लगाकर जीवित किया। यही घटना गणेश चतुर्थी के पर्व का आधार है।

गणेशोत्सव का राष्ट्र निर्माण में योगदान

महाराष्ट्र में लोकमान्य तिलक ने इस त्यौहार को राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता और विदेशी शासन के प्रतिरोध का माध्यम बनाया। आज यह भारत के सबसे बड़े सामूहिक पर्वों में शामिल है।

विसर्जन क्यों मनाते हैं?

  • भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ माना जाता है; विसर्जन के समय उन्हें विदा करते हुए भक्त यह प्रार्थना करते हैं कि वे अपने साथ सभी बाधाएँ और दुख ले जाएँ।
  • विसर्जन ईश्वर के निराकार एवं अद्वितीय स्वरूप का स्मरण कराता है – हर रूप अस्थायी, परंतु दिव्यता शाश्वत है।
  • विसर्जन अनासक्ति का संदेश देता है – संसार में किसी भी भौतिक वस्तु से मोह न करें, क्योंकि अंत में सब जल में विलीन हो जाता है।
  • विसर्जन के साथ श्रद्धालु अगले वर्ष पुनः भगवान गणेश के आगमन की प्रतीक्षा करते हैं।

गणेश जी से जुड़े सनातन संस्कृत श्लोक

  1. वक्रतुंड महाकाय
    वक्रतुंड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभः।
    निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।।
    (हे वक्रतुंड महाकाय, सूर्य के समान प्रभा वाले प्रभु, मेरे सभी कार्यों को बिना विघ्न के सफल करें।)
  2. एकदंताय विद्महे
    एकदंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि।
    तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
  3. मायातीताय भक्तानाम्
    मायातीताय भक्तानां कामपूराय ते नमः।
    सोमसूर्याग्निनेत्राय नमो विश्वम्भराय ते॥
  4. लम्बोदराय नमः
    लम्बोदराय वै तुभ्यं सर्वोदरगताय च।
    अमायिने च मायाया आधाराय नमो नमः।।
  5. हेरम्बाय नमः
    अमेयाय च हेरम्ब परशुधारकाय ते।
    मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः।।

गणेश विसर्जन के दौरान मुख्य परंपराएँ

  1. शोभायात्रा और नृत्य: श्रद्धालु गणेश प्रतिमा के साथ शोभायात्रा निकालते, ढोल-ताशे बजाते व नृत्य करते हैं।
  2. पर्यावरण के प्रति जागरूकता: अब पर्यावरण बचाने के लिए मिट्टी की मूर्तियाँ, या घरेलू विसर्जन को भी अपनाया जा रहा है।
  3. भोग व प्रसाद: प्रसाद में मोदक, लड्डू, करंजी जैसी मिठाइयाँ वितरित होती हैं।
  4. सांस्कृतिक कार्यक्रम: सामूहिक आरती, भजन, खेलकूद तथा नाट्य प्रस्तुतियाँ की जाती हैं।

गणेश विसर्जन का संदेश

विसर्जन केवल देवता के विदा का पर्व नहीं, बल्कि अनित्य संसार में अनासक्ति, पुनः मिलन की आशा तथा अंतर्दृष्टि का आध्यात्मिक अनुष्ठान है। प्रत्येक वर्ष यह पर्व भारत सहित विश्व के कई देशों में बड़े हर्षोल्लास, भक्ति व सामाजिक एकता के साथ मनाया जाता है।

उपसंहार

गणेश विसर्जन पर्व भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, सामाजिक एकता, पर्यावरण-प्रेम और जीवन के गूढ़ सत्य का उत्सव है। हर वर्ष एक नई आशा, नए उत्साह व मंगल कामनाओं के साथ गणपति बाप्पा मोरया के जयघोष के साथ यह पर्व अंत होता है। अगले वर्ष फिर से शुभ आगमन की कामना के साथ गणपति के लौटने की प्रतीक्षा रहती है।